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प्रिय अभिवावक/अध्यापकगण/छात्रों,
क्रिएशन इंस्टिट्यूट पिछले 15 वर्षों से शिक्षा व्यवस्था पर शोध कर रही है एवं पिछले छः वर्षों से औपचारिक रूप से अलग-अलग विषयों पर ट्रेनिंग कैम्प सेमिनार एवं वर्कशॉप के माध्यम से छात्रों एवं अध्यापकों को वर्तमान शिक्षा-व्यवस्था की कमियों,चुनौतियों से अवगत करा रही है एवं उनके निदान के विकल्प भी प्रस्तुत कर रही है।
पिछले कुछ वर्षों में हुई सामाजिक बैठकों,अभिवावकों के सेमिनार एवं अभिवावक-अध्यापक बैठकों की रिपोर्ट और अन्य प्रतिष्ठित स्वास्थ्य संगठनों जैसे WHO की रिपोर्टों के अध्ययन से हमने ये पाया कि छात्रों का खराब स्वास्थ्य आज सबसे बड़ी समस्या बनकर उभर रहा है।आश्चर्य की बात यह है कि किशोरवस्था जो कि स्वास्थ्य व वृद्धि के लिए सबसे उपयुक्त आयु होती है वही स्वास्थ्य की समस्यायों से घिरती जा रही है।
जब हम इन समस्याओं की जड़ में गए तो हमने पाया कि वर्तमान सुविधाभोगी जीवनचर्या,सोशल मीडिया से नशे की लत जैसा लगाव,हिंसक वीडियो गेम,पोर्न देखने की लत,जंकफूड की लत ये इन सभी शारीरिक और मनोवैज्ञानिक समस्याओं की जड़ है।
हमने और गहराई में अध्यययन किया तो यह पाया कि प्रचार कम्पनियों और जहर बेच रही फूड कम्पनियों का ये अन्तराष्ट्रीय षड्यन्त्र है,क्योंकि भारत इस वक़्त दुनियाँ का सबसे बड़ा खुला बाज़ार है,जहाँ फ़र्ज़ी प्रचार करके कोई भी कम्पनी कुछ भी बेच सकती है।
तो इस अंतर्राष्ट्रीय षड्यन्त्र को सूत-सूत बारीकी से समझाने,शराब,सिगरेट,ड्रग्स के अलावा सोशल मीडिया,हिंसक वीडियो गेम,पोर्नोग्राफी,जंक फूड के हमारे मस्तिष्क,नर्वस सिस्टम,शरीर पर पड़ने वाले नकारात्मक परिणाम इनसे पैदा होने वाली मनोवैज्ञानिक समस्याओं को समझाने हेतु हमने अपने मनोवैज्ञानिकों,चिकित्सकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के मिलेजुले प्रयत्न से सेमिनार, वर्कशॉप प्रोग्राम तैयार किऐ है जो कि इन समस्याओं पर एक सरल,विस्तृत और आँखें खोल देने वाले आंकड़ों और टिप्पणियों से भरे है।
वर्तमान समय में समाज कई तरह विसंगतियों,असमानताओं और विडम्बनाओं से जूझ रहा है,उनमें से एक जो सबसे बड़ी विसंगति तय हमने अपने अनुभव से समझी वो ये कि वर्तमान शिक्षा-व्यवस्था समाज की मौलिक समस्याओं से अछूती है और शिक्षा जो कि स्वयं मौलिकता के शोधन का उपक्रम है वो मौलिक नहीं है।
इन विसंगतियों के निदान में एक कण भर संसाधन और आकाश भर सर्वजन हिताय के स्वप्न लिए हमने Creation Institute संस्था बनाई है। जो शिक्षा में मौलिकता और शिक्षा को समाज की मूल समस्याओं से जोड़ने हेतु प्रतिबद्ध है।
हमें इस बात का पूरा-पूरा भान है कि ये विषय कितना गम्भीर है और यह स्वप्न कितना विशाल है,और इस मार्ग में कितनी जटिलताएं है और हम विनम्रता और ईमानदारी से यह भी स्वीकार करते हैं कि हम संस्था के स्थापक सदस्य इस स्वप्न को पूरा करने व मार्ग की जटिलताओं से पार पाने में न तो अकेले सक्षम हैं न ही हमारी इतनी योग्यता इस स्वप्न का भार उठाने में सक्षम है।
अतः हम ऐसे लोगों को साथ जोड़ने व उनके साथ होने में यक़ीन रखते हैं जिनकी आँखें भी वही सपना देख रही हैं जो हमारी आँखें,चाहे वो व्यक्ति हों,समूह हों,संस्था उनके राजनैतिक,धार्मिक रुझान कुछ भी हों।
इस प्रयोजन हेतु अभी हम अलग-अलग एकेडमिक पृष्ठभूमियों,कार्यक्षेत्रों एवं सामाजिक समूहों का ऑनलाइन नेटवर्क तैयार कर रहे हैं,जिनसे हम कुछ सीख सकें और जो कुछ थोड़ा बहुत हम अपने अनुभव व अध्ययन से जान सकें हैं वो समाज से बांट सकें।
हमारा अनुरोध है यदि आप इस सपने में हमारे साथ हैं ,आप शिक्षा के बुनियादी ढाँचे,शिक्षण संस्कृति,मूल्यपरक और व्यवहारपरक शिक्षा पर ऐसे वर्कशॉप,सेमिनार,डिज़ाइन कर सकते हैं,ट्रेनिंग दे सकते हैं,जहाँ आवश्यकता है उनकी सूचना दे सकते हैं।ऐसे तथ्य,आँकड़े और शोध आपके पास हों जो इन वर्कशॉप और सेमिनार की गुणवत्ता बढ़ा सकें या फिर आप अपने शोध में,प्रोजेक्ट में हमारी संस्था की सहायता चाहते हैं,हमारे साथ इंटर्नशिप करना चाहते हैं तो support@creationinstitute.org पर हमें संपर्क करे।
यदि आप भी उपरोक्त समस्याओं को वर्तमान समय मे छात्रों की और समाज की बड़ी समस्या मानते हैं तो यह सेमिनार आपके लिए है जो बहुत मामूली शुल्क पर आपके विद्यालय/सोसायटी/कॉलेज में आयोजित हो जाएगा।
यदि आप जन-जागरण की इस मुहिम का हिस्सा बनना चाहते हैं,
आप शोध,सूचनाओं के संकलन,नेटवर्किंग,प्रचार कुछ भी करना चाहते हैं तो support@creationinstitute.org पर हमें अवश्य संपर्क करे।
यदि आप इसे किसी जाति,पंथ,धर्म,दल से प्रेरित पाएँ तो जब भी चाहें आप जा सकते हैं।
बहुत बहुत धन्यवाद!
निवेदक
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